सरकार करेगी 35,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित

सरकार करेगी 35,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित


PM Aasha Yojana: हमारा देश कृषि प्रधान देश है. हमारे देश की आधे से ज्यादा आबादी खेती पर निर्भर है. किसान हमारे देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. सरकार की तरफ से भी किसानों के लिए समय-समय पर नई-नई योजनाएं क्रियान्वित की जाती हैं. इसी बीच केंद्र सरकार की तरफ से किसानों के लिए एक नई योजना शुरू की गई है. इस योजना का नाम प्रधानमंत्री आशा योजना है. पीएम आशा स्कीम को विशेष तौर पर तिलहन और दालों को मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी एमएसपी की सुविधा देने के लिए शुरू किया गया था. आइये जानते है कि पीएम आशा स्कीम क्या है और इससे किसानों को कैसे फायदा मिलता है.

साल 2018 में शुरू हुई थी प्रधानमंत्री आशा योजना

पीएम आशा स्कीम को प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान के नाम से भी जाना जाता है. इस स्कीम को साल 2018 में शुरु किया गया था. पीएम आशा स्कीम के तहत तिलहन और दाल की फसलों को मिनिमम सपोर्ट प्राइस की सुविधा प्रदान की जाती है. मिनिमम सपोर्ट प्राइस या न्यूनतम समर्थन मूल्य वे दर है, जिससे नीचे आप फसल नहीं खरीद सकते हैं.किसी भी फसल का एमएसपी निर्धारित करने से किसानों को काफी मदद मिलती है और अन्हें आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है.

सरकार करेगी 35,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित

सरकार ने पीएम आशा योजना को आगे बढ़ाने के लिए 35,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने जा रही है.  इसका योजना का मुख्य उद्देश्य सभी किसानों के हितों की रक्षा करना और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को कम करना है, ताकि किसानों को इस योजना का लाभ मिल सके।

मिनिमम सपोर्ट प्राइस की ही एक कड़ी है पीएम आशा स्कीम 

पीएम आशा स्कीम भी एमएसपी का एक भाग है. इस योजना के तहत खास तौर पर दाल, तिलहन और कोपरा जैसी फसलो का मिनिमम सपोर्ट प्राइस फिक्स किया गया है. पीएम आशा स्कीम के तहत तीन कंपोनेंट आते हैं, इनमें मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य कमी भुगतान योजना (पीडीपीएस) और पायलट प्राइवेट खरीद और स्टॉकिस्ट योजना (पीपीपीएस) भी शामिल हैं.

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तिलहन की फसल में से चुनना होता है एक विकल्प

पीएम आशा स्कीम के अंतर्गत किसी भी राज्य या केंद्र शसित प्रदेश को पीएसएस और पीपीपीएस में से किसी एक को सेलेक्ट करना होता है. ये विकल्प राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को तिलहन की फसल में ही चुनने के लिए दिया जाता है. क्योंकि दाल और कोपरा की फसल में सिर्फ पीएसएस ही लागू हो सकता है. इसके अतिरिक्त एक साल में केवल एक ही उत्पादन पर पीएसएस या पीडीपीएस लागू किया जा सकता है.पीएम आशा योजना दलहन, तिलहन के लिए है. यह बागवानी फसलों के लिए भी है. अब इसमें पूरे देश में जितना उत्पादन होता है उसका 25 फीसदी इस योजना के अंतर्गत सरकार खरीदेगी.

हर साल 22 फसलों के लिए सरकार करती है मिनिमम सपोर्ट प्राइस की घोषणा

पीएसएस को प्राइस सपोर्ट स्कीम के नाम से भी जाना जाता है. पीएसएस को उस वक़्त लागू किया जाता है, तब किसी फसल की कीमत मिनिमम सपोर्ट प्राइस कम हो जाती है. उस वक़्त उस फसल को पीएसएस के तहत नेफेड द्वारा खरीदा जाता है. ये खरीदारी तब तक जारी रहती है, जब तक उस फसल की कीमत एमएसपी से ज्यादा या कण्ट्रोल एमएसपी तक नहीं हो जाती है. इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार सरकार हर साल कम से कम 22 फसलों के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस की घोषणा करती है. इन 22 फसलो 14 खरीफ, 6 रबी और 2 व्यापारिक फसले शामिल हैं.

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